मूंबई । गुणवंत सेन एक भारतीय संगीतकार व स्क्रीन राइटर है जिनको मुख्यत बॉलीवुड फिल्मों के लिए जाना जाता है। साथ ही साथ उन्होंने हिन्दी फिल्मों व कोंकण फिल्मों में भी संगीत दिया है।गुणवंत सेन सुजानगढ़ ( चुरू ,राजस्थान) से ताल्लुक रखते हैं व हिंदी ,मराठी, उड़िया,कन्नड,मलयालम तेलुगू,तमिल,पंजाबी, हरियाणवी,राजस्थानी,मराठी ,बंगाली सहित अनेक भाषाओं की फिल्मों में उन्होंने संगीत दिया है। उन्होंने अर्जुन देवा,सबसे बडा़ मुजरिम,पंचायत,ए अनटोल्ड फैक्ट,लीडर,नसीबों का खेल,सोफिया आदि फिल्में की हैं। इन सब के अलावा उन्होने भोजपुरी फिल्म धुरंधर की पटकथा वो पार्श्व संगीत में भी योगदान दिया है। उन्होंने 2017 में एक हिंदी फिल्म भी की थी जिसको अभिषेक चड्ढा ने डायरेक्टर किया था जबकि उसमें महानायक अमिताभ बच्चन व जया बच्चन ने अभिनय किया था। फ़ुरसत के समय में हमने उनसे उनके कैरियर सम्बन्धित सवाल किए जिसके संपादित अंश निम्न हैं –
बचपन व यंग स्टेज के बारे में बताएं ?
मेरा ज्यादातर वक्त मूंबई में ही गुजरा है। मेरे पापा तानसेन एक म्यूजिक टीचर थे। मेरे पापा बिड़ला कॉलेज पिलानी में संगीत सिखाया करते थे। मेरे दादाजी एक म्यूजिक डायरेक्टर थे,जिन्होंने 150 से ज्यादा फिल्मों में संगीत दिया था, इस तरह संगीत हमारे ब्लड में था।मैंने संगीत अपने पिता से ही सीखा। मैने अपना ग्रेजुएशन मुम्बई से ही की।
आपका म्यूजिक में रूझान कैसे हुआ ?
म्यूजिक का माहौल शुरू से ही था वह पूरा परिवार इसी लाइन में था। म्यूजिशियन के रूप में शुरूवात भी मैने घर से ही की थी। और फिर 23 साल की उम्र में मैंने कंपोजिशन शुरू कर दी थी। मैंने बाहर के म्यूजिक डॉयरेक्टर के साथ काम किया जो म्यूजिक डायरेक्टर बनने की पहली सीढ़ी होती है ।मेरे अंडर मेंअर्जित सिंह, जुबिन, कुमार सानू,उदित नारायण,सोनू निगम,अलका याज्ञनिक,कविता कृष्णमूर्ति, अनुराधा पौडवाल,श्रेया घोषाल, सुनिधि चौहान ,शान,ममता शर्मा,पलक मुंचल,सोनू कक्कड़.,साधना सरगम,दिलेर मेंहदी,मीका,राजा हसन, खुशबू जैन,नवराज हंस, सुखविंदर सिंह,शान सहित अनेक सिंगर्स गाना गा चुके हैं। मैंने पंद्रह बीस लैंग्वेज में काम किया है। हिंदी फिल्मों के साथ मैंने
मराठी ,तेलुगू,तमिल,मराठी ,कोंकणी,राजस्थानी,भोजपुरी ,उड़िया,गुजराती,पंजाबी जैसी अनेक भाषाओं में म्यूजिक कंपोज किया। मैंने पंजाबी ब्लकबस्टर फिल्म ‘दर्द परदेसिया दे’ में भी संगीत दिया है
आप अपने स्ट्रगल व अचीवमेंट के बताइए ?
अचीवमेंट का क्या कह सकते हैं ?इस लाइन में तो आप टॉप पर भी आ जाओ तो भी स्ट्रगल ही रहती है। मैंने अमिताभ जी के साथ लीडर फिल्म की थी। जिसमें अमिताभ जी ने गाना भी गाया था। मैंने राजस्थान के मशहूर निर्माता निर्देशक के सी बकोडि़या साहब की फिल्म भी की जिसका नाम था तेरी मेहरबानियां 2। ये फिल्म तमिल तेलुगु व हिंदी में बनी थी। हिंदी में हालांकि ये रिलीज नहीं हो पाई थी। मैंने मिथुन चक्रवर्ती की बहुत फिल्मों में संगीत दिया हाल ही में मेरी फिल्म आई नानू की जानूं जिसमें धर्मेंद्र के भतीजे अभय देओल ने काम किया। इस फिल्म में बिग बॉस फेम हरियाणवी डांसर सपना चौधरी ने एक आइटम नंबर ‘तेरे ठुमके पर’किया था जिसका म्यूजिक भी मेरा था व गाना गाया भी मैने ही था। ये गाना टी सीरीज पर रिलीज हुआ था व इस गाने को यु ट्युब पर 31मिलियन बार देखा जा चुका था। रही बात स्ट्रगल की तो कला से जुडी़ लाइन में स्ट्रगल कभी खत्म नहीं होता। इस लाइन में ये नहीं चलता कि आपका बाप क्या करता है। इस लाइन में ये चलता है कि आप खुद करता हो?
आपको पहला चांस कैसे मिला ?
जोधपुर के एक निर्माता हैं महेंद्र धारीवाल जिन्होंने सनी देओल के साथ मां तुझे सलाम मुवी बनाई थी।वो हमारे अच्छे मित्रों में से थे और वो एक फिल्म अर्जुन देवा पर काम कर रहे थे जिसमें राजकुमार के बेटे पुरू राजकुमार व मिथुन चक्रवर्ती अहम भूमिका में थे।हमने उन्हें कुछ गाने सुनाए और उन्हें पसंद आए। वैसे मैं पहले से ही फिल्म इंडस्ट्री में था और काफी निर्माता निर्देशकों को पहले से जानता था। फिर के सी बकोडि़या सर मिले वो फिर मैं साउथ चला गया। वहां काफी फिल्में की व वहां की बीस पच्चीस फिल्में सुपरहिट रही। गुजराती फिल्म’ मनै ले जाओ सांवरिया ‘की। फिर अभी सरदार पटेल कर रहा हूं। बुलेट रानी ,चंद्रिका आदि फिल्में की जो टीवी पर भी आती है। मैंने हाल ही में नानू की जानूं व फ्राइडे फिल्म की जिसमें गोविंदा ,वरूण शर्मा ने अभिनय किया था। हाल ही में दो तीन फिल्में फ्लोर पर हैं जिसमें मेरा संगीत है जो कोविड की वजह से पेंडिंग हैं। राजस्थानी में मैंने लाडेसर भाभी का म्यूजिक दिया है। कोंकणी में मैंने सोफिया मूवी की है। एक मूवी लतीफ नें भी संगीत दिया जिसमें नवाजुद्दीन सिद्दिकी ने काम किया था।
आपको किसने इस लाइन में एप्रिसिएट किया ?
मैं आपको ये फ्रेंकली बता रहा हूं कि इस लाइन में कोई किसी को एप्रिसिएशन नहीं देता। सब कुछ खुद ही करना पड़ता है। आपमें क्या है ये आपको खुद ही साबित करना पड़ता है। आपके घर में किसने क्या नामी किया है या आपका घराना क्या है इसे कुछ फर्क नहीं पड़ता। यहां कोई किसी की मदद नहीं करता। यहां पर जो कुछ बनना है वो खुद ही बनना पड़ता है।
आपने अमिताभ बच्चन व जया बच्चन के लिए म्यूजिक कंपोज करना कैसा लगा ?
बहुत अच्छा अनुभव रहा। इस फिल्म के निर्माता दीपक सावंत साहब अमिताभ बच्चन के मेकअप मैन थे। फिल्म के डिस्ट्रीब्यूटर थे महमूद अली जिनकी वजह से मुझे चांस मिला था। उन्होंने मुझे अमित जी के लिए गाना करने को बोला तो मैनै उनसे एक शर्त या फिर रिक्वेस्ट रखी की गाना अमित जी ही गाएंगे। तो उन्होंने कहा कि गाना अमित जी को पसंद आना चाहिए। तो सांग कंपोज करने से पहले म्यूजिक डायरेक्टर को ही गाना पड़ता है। तो मैंने बहुत कोशिश की गाने को गाने कि वो भी अमित जी की स्टाइल में। अमित जी का तो सारा जमाना फैन हैं व उनकी वॉइस का एटीट्युड तो हर इंसान में रहता ही है। मैं बचपन से ही उनका फैन था व काफी फिल्में देखी थी उनकी। इसलिए मैंने एक गाना उन्हीं की स्टाइल में गाया व उसकी सी डी बच्चन साहब को भेजी। तो बच्चन साहब गाना सुनते ही खुश हुए व कहा कि जिसने ये गाना गाया है वो इतना अच्छा गाता है तो सिंगर इसी को रहने दो मुझसे क्यों गंवा रहे हो। तो निर्माता ने उन्हें बोला कि मेरा सपना है कि अमित जी मेरी फिल्म में गाए और इस तरह मेरा सौभाग्य था कि अमित जी गाने के लिए राजी हो गए। फिर बडे़ ही प्यार से गाने को समझा ,गाया व गाने की डबिंग की उन्होंने।
यंगस्टर्स जो सिंगर या कंपोजर बनने मूंबई आते हैं उनको करता कहना चाहेंगे आप ?
उनको यही कहना चाहूंगा कि सच्चे दिल से मेहनत करेंगे तो मंजिल आपको जरूर मिलेगी।आपके काम में लगन,सच्चाई होनी चाहिए। मेहनत से दूर नहीं भागना चाहिए। राजनीति में नहीं पड़ना चाहिए। अपने काम पर फोकस करेंगे तो आपको मंजिल जरूर मिलेगी। बस मेरा तो यही मंत्र है। अगर हमारे पास कोई यंगस्टर आए तो हम उसके लिए जितना हो सके करते ही हैं। बाकि सब करने वाला ऊपरवाला है।
बॉलीवुड में नेपोटीज्म की बात काफी बार उठी है। इस बारे में आपका करता कहना है ?
हमारे लिए तो नेपोटिज्म कहीं भी नहीं आता। हमने हमारे खानदान का नाम कभी कहीं इस्तेमाल नहीं किया। इस लाइन में आप ये भूल जाओ कि आपके पापा नें क्या किया। ये ही याद रखो कि आप क्या कर सकते हो।आपकी कोई भी मदद नहीं करता। जो कुछ करना पड़ता है वो खुद ही करना पड़ता है। और बात करें नेपोटिज्म की तो आज के पॉपुलर सिंगर नए म्यूजिक डायरेक्टर के अंडर गाना गाना पसंद नहीं करते। ये ने कम्पोजर्स के साथ भेदभाव करते हैं। पूछते हैं कि फिल्म का हीरो कौन है ?ये कौन है क्यों है। इनकी भी चोंचलेबाजी कम नहीं है। वो कहावत है कि खुदा जब हुस्न देता है तो नजाकत तो आ ही जाती है। मतलब घमंड तो सबमें होता ही है। मेरा तो यही मानना है कि घमंड तो आपको करना ही नहीं चाहिए,अगर आप घमंडी हो तो संगीतज्ञ बन ही नहीं सकते। क्योंकि ये ईश्वर से जुड़ी हुई चीज है। खुदा ने हमें बनाया है और जब तक वो चाहेगा काम करते रहेंगे। पूराने सिंगर्स में भी काफी ऐसे सिंगर्स थे जो गाना गानें के लिए मन्नतें करवाते थे। मैं नेपोटिज्म पर विश्वास ही नहीं करता। अगर नेपोटिज्म होता तो अमिताभ के बेटे अभिषेक के पास सारी इंडस्ट्री की फिल्में होती। जितेंद्र का बेटा सुपरस्टार होता। मगर ऐसा नहीं है। हां नेपोटिज्म से आपको प्लेटफार्म जरूर मिल जाता है। मगर आगे बढने के लिए टैलेंट का होना जरूरी है।
आपका ड्रीम क्या है ?
मेरा ड्रीम कुछ भी नहीं है। मैं बस मेहनत व काम करना चाहता हूं और उसी में खुश हूं। ड्रीम अपने आप अचीव होते रहेंगे। आदमी कै कभी तक हार के बैठना नहीं चाहिए। जब तक चल सकता है आदमी को काम करते रहना चाहिए।
क्या आपने बैकग्राउंड म्यूजिशियन के रूप में फिल्में की है ?
हां की है। म्यूजिक से जुड़ा हर काम मैं करता हूं। स्वर्गीय सरोज खान की डेब्यू फिल्म’ सन अॉफ बिहार ‘में मेरा ही म्यूजिक था। भोजपुरी फिल्मों में भी मैने बडे़ बैनर की फिल्में की।एक भोजपुरी फिल्म कादर खान के साथ की। उनकी निर्मित फिल्म बाबुल प्यारे में मेरा ही संगीत था जो लंदन में शूट हूई थी। ये लंदन में शूट होने वाली पहली भोजपुरी फिल्म थी। इसकी स्टारकास्ट हिंदी थी जैसे राज बब्बर ,ऋषिता भट्ट,अरूण गोविल ,रवि किशन। दिलीप कुमार शायरा बानो की फिल्म में भी मेरा संगीत था। मैं लाइमलाइट से दूर रहना पसंद करता हूं। बाकि काम मैंने बहुत किया है। मैं किसी काम को छोड़ता नहीं हूं चाहे काम छोटा हो या बड़ा हो। यह मेरे लाइफ का फंडा है। मैं जो काम करता हूं उसे बडा़ ही समझता हूं। दिलीप साहब की फिल्म जिसमें मैंने संगीत दिया यशराज फिल्म ने डिस्ट्रीब्यूट व रिलीज किया। ये यशराज फिल्म्स द्वारा डिस्ट्रीब्यूटेड एकमात्र भोजपुरी फिल्म है। आपको जो काम मिल रहा है वो करते रहो बस इसी से ही आप बडे़ बनोगे। आपको एकदम से बढ़ीं फिल्म नहीं मिलती। धिरे धिरे आपका पौर्टफोलियो बनता है। म्यूजिक किंग नदीम श्रवण की पहली फिल्म ‘ दंगल’एक भोजपुरी फिल्म थी। इस तरह संघर्ष करते करते वो हिंदुस्तान के बहुत बडे़ म्यूजिक डायरेक्टर बने। सोनू निगम का भी पहला गाना भोजपुरी था।
नए सिंगर्स जिन्होने आपकी फिल्म में गाना गाया है ?
लगभग सब सिंगर मेरे अंडर गाना गा चुके हैं। अर्जित ,जुबिन नॉटियाल ,राहत फतेह अली खान सब मेरे अंडर गाना गा रहे फिल्म सोल में। म्यूजिक डायरेक्टर गुरू होता है सिंगर चेला होता है। हम जो गाना बनाते हैं वो उस गाने को आकार देता है।
रियलिटी शोज के बारे में क्या कहना चाहेंगे ?
वहां मेल फिमेल दोनों ही अच्छे सिंगर्स आते हैं। बाकि जब वो इन्डस्ट्री में आते हैं तो कम्पोजिशन्स नई होती है। रियलिटी शोज में तो वो पूराने गाने ही गाते हो जिन्हें हम हजार दफासुन चुके होतें हैं। तो उससे जजमेंट करना तो बेमानी है। जब नया सिंगर होता है तो उसे पता ही नहीं होता कि करता कंपोजिशन मै गाने वाला हूं ,फिर शब्दों का भाव समझकर याद करके गाना एक्सप्रेशन और फिर उस गाने में वो क्या एफर्ट दे सकता है ,ये सब स्टुडियो में आने के बाद ही पता चलता है कि वो कितना एफर्ट दे सकता है।
आजकल गानों को रिक्रिएट किया जा रहा है ?उस बारे में आपके करता विचार हैं?
ये तो म्यूजिक का सत्यानाश करना है। क्योंकि इन लोगों के पास और कुछ तो होता नहीं गाने के लिए। इनकी भी तो दाल रोटी चलानी होती है।
साक्षात्कार- अविनाश स्वामी