सुशांत सिंह राजपूत के संग बिताये गए पलों को संजो कर रखुंगी – संजना सांघी

मूम्बई। बेहद खुबसूरत व आकर्षक अभिनेत्री संजना सांघी जल्द ही सुशांत सिंह राजपूत के साथ फिल्म ‘दिल बेचारा ‘ में नजर आएंगी। गौरतलब है कि ये फिल्म साल 2014 में रिलीज हुई हॉलीवुड फिल्म द फॉल्ट इन आर स्टार्स की ऑफिशियल हिंदी रीमेक है। इस फिल्म के साथ ही संजना संघी लीड एक्ट्रेस के तौर पर अपना डेब्यू कर रही हैं. इससे पहले संजना फिल्म रॉकस्टार में रणबीर कपूर के साथ नजर आ चुकी हैं लेकिन लीड एक्ट्रेस के तौर पर ये उनकी पहली फिल्म है।बता दें, सुशांत सिंह राजपूत और संजना सांघी की फिल्म ‘दिल बेचारा’ 24 जुलाई को ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज होगी। गौरतलब है कि ये फिल्म सुशांत सिंह राजपूत की आखिरी फिल्म है। हमारी संजना से उनके आवास से ही ऑनलाइन मुलाकात हुई जिसके कुछ अंश इस प्रकार है :-

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सुशांत के साथ अपनी पहली मुलाकात के बारे में बताएंगी ?
वह दोनों फिल्म के डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा के साथ स्क्रीप्ट रीडिंग सेशन के दौरान वर्कशॉप में मिले थे  और हम दोनों बहुत जल्द एक-दूसरे के साथ घुल-मिल गए। हमने खूब सारा खाना ऑर्डर कर दिया था, जिसके बाद उन तीनों को जमीन पर बैठकर खाना पड़ा। मुकेश, सुशांत और मैं खाने के मामले में बिल्कुल एक जैसे थे।  हमने एक बड़ा ऑर्डर दिया, फिर हमने डाइनिंग टेबल पर देखा और हम तीनों ने खाना फ्लोर पर बैठकर खाने का फैसला लिया।  हमने अपने खाने को मैट पर रखा और खाना शुरू कर दिया।  उन्होंने मेरा मजाक उड़ाया कि मैं कितना खाना खा सकती हूं  लेकिन पढ़ाई के अलावा खाना भी हमें बहुत ही प्यारा था। 
फिल्म के बारे में कुछ बताएंगी ?
फिल्म इंग्लिश फिल्म ,द फाल्ट इन आवर स्टार्स की हिंदी रिमेक है। फिल्म में मै और सुशांत कैंसर पेसेंट्स का रोल  कर रहे हैं। ये दोनों के बीच पनपती एक इमोशनल कहानी व दिल को छु लेने वाली कहानी है। दो साल पहले कीजी और मैनी कैमरे के सामने आए थे। इस दिन के बाद मेरी जिंदगी एक सेकंड के लिए भी पहले जैसी नहीं रही।कीजी और मैनी को लगता था कि उनके प्यार से बढ़कर कुछ नहीं लेकिन आप लोगों ने जो प्यार हमें दिया है, उसके लिए शब्द नहीं है। दिल बेचारा के ट्रेलर के साथ प्यार करने, रोने और हंसने के लिए शुक्रिया। लेकिन पिक्चर? अभी बाकी है।
आपने रॉकस्टार फिल्म से अपने कैरियर की शुरुआत की थी जिसमें एक आर रहमान सर का म्यूजिक था,और आपकी फिमेल‌ के तौर पर पहली फिल्म में भी एक आर रहमान सर का ही संगीत था।  कैसा लगता है ये सब देखकर या महसूस करके ?
 रॉकस्टार के वक्त शुरू हुआ जादू अब भी बरकरार है।13 साल की उम्र में मुकेश ने मुझे दिल्ली के मेरे स्कूल में स्टेज पर परफॉर्म करते हुए देखा और खुद ही आकर मुझसे ऑडिशन देने के बारे में पूछा। और इसके बाद मुझे फिल्म रॉकस्टार में ‘मैंडी’ के रूप में कास्ट कर लिया। रॉकस्टार के दौरान कई जादुई चीजें घटित हुईं, लेकिन एक सबसे बड़ा जादू एआर रहमान सर का संगीत था।ऐसा सपना जिसे मैंने देखने की हिम्मत तक नहीं की ‘अगर आपने मुझसे कहा होता कि 10 साल बाद वो मुझे मेरी डेब्यू फिल्म ‘दिल बेचारा’ में प्रमुख अभिनेत्री के रूप में अपने संगीत और बैकग्राउंड म्यूजक के साथ आशीर्वाद देंगे, जो कि मेरे पसंदीदा उपन्यास ‘द फॉल्ट इन आवर स्टार्स’ पर आधारित होगी, और मुकेश मुझे निर्देशित करेंगे? तब भी ये एक ऐसा सपना नहीं बन पाता जिसे मैं कभी देखने की हिम्मत कर पाती।आपके इस निरंतर आशीर्वाद के लिए एआर रहमान सर आपका धन्यवाद, यह बहुत सम्मान की बात है ।’दो साल पहले जब मैंने उनकी धुनों पर पहली बार परफॉर्म किया था, तब से अबतक मैं लाखों बार खुद को चिमटी काट चुकी हूं, लेकिन अब भी मुझे यकीन नहीं हो रहा है। ये मेरे लिए सबसे बड़े सम्मान की बात ये है कि मैं आपके सामने दिल बेचारा का पूरा म्यूजिक एल्बम प्रस्तुत कर रही हूं। जिसके गाने के बोल जीनियस अमिताभ भट्टाचार्य ने लिखे हैं।

आपकी में लीड कैरेक्टर के रूप में ये पहली फिल्म है ,जबकि सुशांत की यह आखिरी फिल्म है। क्या आप सुशांत के साथ की यादों को शेयर करना चाहेंगी ? 

मैंने सुशांत के साथ आखिरी फ़िल्म की और उन पलों को भी महसूस किया जिनसे सुशांत गुजर रहे थे। एक दोस्त होने के नाते मैने सुशांत को सपोर्ट किया। मैं उनके साथ के पलों को याद रखुंगी और हमेशा अपने दिल मे संजोकर रखेंगी।ऐसी बहुत बातें हैं जो दोनों में एक जैसी थी। सेट पर पहले ही दिन मेरी सुशांत से बहुत अच्छी दोस्ती हो गई । सुशांत वैसे तो अंतर्मुखी थे, लेकिन मगर मुझसे उनकी दोस्ती झटपट हो गई। सुशांत की ही तरह मै भी अपने कॉलेज की टॉपर रह चुकी हैं। सुशांत ने फिजिक्स में टॉप किया था तो वही मै पॉलिटिकल साइंस की टॉपर रह चुकी हूं। सेट पर हम दोनों अपनी किताबी ज्ञान पर घंटो- घंटो बाते करते थे। सुशांत की ही तरह  मुझको भी किताबे पढ़ने का काफी शौक हैं। सुशांत हमेशा मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते थे और कहते थे कि तुम जिंदगी बहुत आगे जाओगी।हम दोनों ने ही ‘द फॉल्ट इन आवर स्टार्स’ हॉलीवुड फिल्म और किताब पढ़ी हुई थी। इसी वजह से अपने-अपने कैरेक्टर को जीना हमारे लिए बहुत ही आसान और रोमांचक था।हम दोनों, पढ़ाकू, स्क्रिप्ट को शुरू से अंत तक एक -एक करके पढ़ते थे ।हमारी स्क्रिप्ट ऐसी दिखती थी मानो फटी हुई नॉवेल हो जो काफी सालो पुरानी हैं, जिसमे पोस्ट के निशान के थे। मैं बहुत नर्वस रहती थी। लेकिन मुकेश के कहने के बाद हम सब सहज हो जाते थे।  इतना ही नहीं एक बार खाने के ही दौरान मेरे पापा का मैसेज आया कि उन्होंने पॉलिटिकल साइंस में गोल्ड मेडल हासिल किया है। यह खबर सुनते ही सुशांत और डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा काफी खुश हुए और उन्हें ढेर सारी बधाइयां दीं।  शिक्षा और सिनेमा के लिए सुशांत की कही बाते अनमोल हैं , जिसे मैंने संभाल कर रखी है।शुरूआती दिनों में सुशांत के साथ मैं बहुत नर्वस रहती थी, लेकिन निर्देशक मुकेश के कहने के बाद हम सब सहज होते गए।सुशांत बातों-बातों में मुझे प्रेरित करते हुए कहते थे कि ‘तुम जिंदगी बहुत आगे जाओगी’ मुझे उनकी बाते बहुत अच्छी लगती थी। मैंने उनकी जिंदादिली और खुशमिजाज को  मैने बहुत ही करीब से देखा हैं। मै उनके संग बिताये गए पलों को संजो के रखुंगी। 
मिडिया के  द्वारा सुशांत पर लगाए गए मीटू के आरोपों को लेकर आप करता कहेंगी ?
मैंने सुशांत पर कभी भी मीटू के आरोप नहीं लगाए थे और ना ही इस तरह की कोई घटना कभी मेरे साथ हुई थी।जब ये आरोप लगे थे तब मैं अपनी मां के साथ अमेरिका घूमने गई थी।मुझे खुद नहीं पता था कि मेरे नाम से टीवी-अखबार और सोशल मीडिया पर ये सब चल रहा था। मेरे वापस इंडिया लौटने के बाद मुझे ये सब पता चला।जब तक मै वापस आईं तब तक सुशांत काफी कुछ झेल चुके थे हालांकि वो सुशांत के साथ काफी नॉर्मल थीं क्योंकि उन्हें पता था कि इनमें कोई सच्चाई नहीं है  लेकिन सुशांत इस सब से काफी प्रभावित हुए थे खुद में सिमट से गए थे।  वो ज्यादा कुछ बोलते नहीं थे।  हालांकि धीरे-धीरे वो नॉर्मल होने लगे थे और उन्होंने फिल्म की शूटिंग के दौरान मेरी बहुत मदद भी की थी। 
आप फिमेल लीड के रूप में पहली फिल्म कर रही हो।कैसा लग रहा है आपको ये अहसास? 
ये मेरे लिए बहुत ही अच्छा एक्सपिरियंस है। मगर रॉकस्टार में अभिनय करने के बाद मैं ग्रो अप कर गई थी ,इसलिए मुझे ये ज्यादा चैलेंजिंग नहीं लगा। तब मैं तेरह साल की थी और अब मैं तेईस साल की हूं। इसलिए मुझे फिल्मों में दस साल का एक्सपीरियंस हो गया है। फिल्म जिस नॉवेल पर आधारित है वो मैं कई बार पढ़ चुकी हूं। मगर जब मुझे इसके एडेप्सन में काम करने को कहा गया तो काफी अच्छा लगा। 
आपने इस फिल्म से पहले फुकरे रिटर्न्स ,हिंदी मिडियम फिल्में की ,जिसमें आपका सेंट्रल कैरेक्टर नहीं था। इसकी वजह?
उस समय मैं बहुत छोटी थी और मैंने ज्यादा नहीं सोचा। जब मैने रॉकस्टार की तब मैं सिर्फ तेरह साल की थी ,मतलब बच्ची थी। और मैं प्रीमेच्योरली कुछ नहीं करना चाहती थी। जब मैने कॉलेज किया तो मैं  बीस की हो चुकी थी जो मेरे हिसाब से सही उम्र थी एक एडल्ट के रूप में फिल्म करने की। अब मैं एक कैरेक्टर को संजीदगी से निभा सकती थी। इस दौरान मैंने 100 से ज्यादा एड फिल्मस ,छोटे छोटे रोल्स व थिएटर किया वह एक्सपिरियंस अचीव किया। 

क्या आपको ये डर नहीं लगा कि आपके कैरेक्टर की तुलना इसके हॉलीवुड वर्जन से की जाएगी ?
नहीं ऐसा कुछ नहीं लगा। द फाल्ट इन आवर स्टार्स फिल्म एक नॉवेल का मूवी एडप्सन था जबकि मूवी दिल बेचारा में हमने वहीं टेक्स्ट का यूज किया,मगर एक डिफरेंट कल्चर के साथ।  हम फिल्म को रिमेक नहीं कर रहे थे। मैं बस एक्साइटेड थी फिल्म को लेकर। बस यही कोशिश‌ की कि अॉडियन्स हमारी मूवी पसंद करें। मैंने बस इस फिल्म के साथ ग्रो अप करने की कोशिश की। इस कैरेक्टर ने मुझसे बहुत कुछ लिया चाहे वो इमोशनली हो चाहे फिजीकल। मगर प्रिपरेशन के रूप में व एन के शर्मा के साथ ट्रेनिंग ली। साथ ही साथ मैंने इंडियन कैंसर सोसायटी के साथ रियल कैंसर पैंसेंट्स के साथ टाइम स्पैंड किया। बीमारी से जूझ रही लड़की का कैरेक्टर पर्दे करना एक बहुत बडी़ रेस्पोंसिबिलीटी थी ,हां मैं इसे करके खुश थी। 
आप दिल्ली युनिवर्सिटी की टॉपर रह चुकी हैं और आपने गोल्ड मैडल भी जीता है।  आपने इतना सब कुछ कैसे किया ?
ये मेरे लिए किसी तरह शॉकिंग नहीं था क्योंकि मैंने इसके लिए काफी हार्ड वर्क किया था।  मगर मैंने इतना एस्पेक्ट नहीं किया था। मगर मैंने इतना जरूर महसूस किया की अगर ईमानदारी से आप मेहनत करते जाएं तो उसका फल मिलता जरूर है। मैंने जर्नलिज्म व पॉलिटिक्स की और मै‌ इन दोनों को पसंद करती थी। 
आप सोशल वर्क में भी इन्वोल्व रही हो ,आप आरोग्यम संस्था से जुड़ी हो। तो आपके लिए ये एक्सपीरियंस कैसा रहा ?
मेरी सोशल वर्क के रूप में जर्नी का सारा क्रेडिट मेरी दिल्ली युनिवर्सिटी को जाता है क्योंकि ये हमारे कैरिक्यूलम का हिस्सा था। मगर उन बच्चों को पढ़ाना मेरे लिए अच्छा एक्सपीरियंस था। मेरा उनके साथ एक स्पेशल अटैचमैंट बन गया था। अब मैं छह सालों से इसका हिस्सा हूं और जब भी मुझे मौका मिलता है ,दिल्ली जाती हूं वो सेलिब्रेट करती हूं।  मुझे लगता है मैंने जो भी स्कील्स इन पिछले सालों में सीखें है उनका सोशल वर्कर में परफैक्ट यूज कर रही हूं।
 आप इन सब चीजों में बैलेंस कैसे बनाकर रखती हैं ?
जब मैं दिल बेचारा कर रही थी तो मेरा दो साल तक सिर्फ इसी पर फोकस किया। और किसी पहलू पर ध्यान नहीं दिया। मैंने ये महसूस कर लिया कि जब मैं एक्टिंग करती हूं तो मैं बाकि सब पर ध्यान नहीं दे सकती। मगर मैं इसके साथ ओके थी ,क्योंकि मुझे ऐसे कैरेक्टर पर्दे करने ही थे।
आजकल  नई अभिनेत्रियों की बाढ सी आई हुई है। आलिया, जाह्नवी कपूर, सारा अली खान‌ आदि। क्या आपको ये इनसेक्यूरिटी या घबराहट होती है ,जब आपको इन सब से कम्पेयर किया जाता है ?
 मैं सबका काम एनालाइज करती हूं। सबका काम देखना पसंद करती हूं।  मगर इनसेक्यूरिटि जैसी नेगेटिव फिलिंग नहीं रखती।  मैं बस अपना काम करती हूं और उसी में खुश रहती हूं। 
आपकी मूवी के ट्रेलर को काफी पसंद किया जा रहा है। आपका ट्रेलर यूं ट्युब पर सबसे ज्यादा देखे व लाइक किए जाने वाला ट्रेलर बन चुका है। कैसा लग रहा है व दर्शकों को क्या कहना चाहेंगी ?
एक तरफ अच्छा लग रहा है और दूसरी तरफ दुःख भी हो रहा है सुशांत जो नहीं है ये सब देखने के लिए। मैं दर्शकों को यही कहना चाहती हूं‌ कि फिल्म को ज्यादा से ज्यादा प्यार दें ,यही सुशांत को हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। 
    साक्षात्कार – अविनाश स्वामी   

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